जून का वो महीना
बहुत याद आता है
जून का वो महीना
स्कूल की यादो को उकेरता है
जून का महीना
वह स्कूल, वह जगह
वह बेंच, वह दोस्त
'एक क्लास और आगे बढ़ गए'
लगता था जैसे बहुत बड़े हो गए
पहले दिन जल्दी जाना
सबसे अच्छी बेंच पकड़ना
बहुत याद आता है
जून का वो महीना
नई किताबे, नई पेन
नई चप्पले, नया बैग
कितना आनंद छुपा था
उस बुक शॉप की भाग दौड़ में
''अंकल, वह परी वाला स्टीकर देना
वह कवर का पूरा बंडल देना,
ये वाला नही वो अलादीन वाला कंपास देना''
दूसरे दिन दोस्तों को दिखाना
'मेरा वाला पेन तेरे पेन से ज्यादा अच्छा है
तेरा स्टीकर इतना अच्छा नही है मेरा वाला देख'
बहुत याद आता है
जून का वो महीना
जब भी बारिश की पहली बूँद पड़ती है,
कभी न मिटने वाली ये यादें
चक्षु पटल पर अंकित हो जाती है
डबडबाई आँखों से वर्षा बूँद की तरह
धुंधलाकार मिटा जाती है
देखते देखते ही न जाने कब
इतने जून बीत गए कि
अब वो यादें बन गई
कैसे समझाऊ खुद को
ना आयेंगे वो दिन
दुनिया की भेड़चाल में
खो गयी है सारी मासूमियत
यंत्रचालित सी जिंदगी ने
छीन ली है सारी इंसानियत
क्या पता था तब हमे
ये ही जीवन के सबसे हंसी दिन है
आज जब पता चला तो कभी ना लौट पाने का गम है
हे ईश्वर अगर लौटाते हो
बीता हुआ कल
तो मुझे लौटा दो, सिर्फ एक पल
जून का वो महीना
जून का वो महीना ...........
Sheetal... awesome poem... i love ur ideas :)
जवाब देंहटाएंMany many thanks Pooja.. means lot to me :)
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