सोचा था.……
सोचा था, तुम्हे देखते ही
शायद तुम ही हो मेरे जीवन खिवैया
सोचा था, तुम्हे जानते ही
शायद तुम ही हो मेरे जीवन की नैया
सोचा था, तुम दोगे साथ मेरा
सोचा था, तुम रहोगे साथ हमेशा
सोचा था, जीवन धन्य हो गया तुम्हे पाकर
सोचा था, पवित्र हो गई तुम्हे छूकर
सोचा था, लड़खड़ाते राह पर सहारा बनोगे
सोचा था, बहती धारा में पतवार बनोगे
सोचा था, हर तूफान में इशारा बनोगे
सोचा था, अँधेरे में उजाला बनोगे
सोचा था, तुम ही सपनो के राजकुमार
सोचा था, तुम ही हो मेरे दारोमदार
सोचा था, साथ रहेंगे हमेशा
सोचा था, प्यार सदा रहेगा ऐसा
ख्वाब में गुम होते होते ना जाने कब हकीकत में आ गई,
वही दिन, समय, जीवन है,
वही रात, चाँद, सूरज है ,
पर वो जो नहीं
वो तो सिर्फ तुम ....... हो सिर्फ तुम हो
ना सोचा था, होगा कभी ऐसा भी
पलक झपकते ही 'जीवित अश्रु' डायरी के पन्नो पर पड़ गई
वही दर्द, घाव को ताजा कर गई
अतीत के पन्ने हवा में उड़े
और कलम रखते ही हाथ लड़खड़ा उठे.
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