मजदूर
हम है मजदूर , जिसके सर पर छत नहीं
हम बनाते है आपके घर,पर हमारा ही घर नहीं
घर जिसका ख्वाब हर कोई देखता है
हमने भी देखा है, पर शायद आपके लिए
हमने बनाया है ताजमहल, ईमारत और आपके घर
इसीलिए हम कहलाते है "कारीगर"
जितनी चाहे उतनी लम्बी ईमारत बनवा लो हमसे
पर हमे तो फुटपाथ पर ही रहना है
आते जाते दुत्कार, दिहाड़ी ने हमे ईंट की तरह कठोर बनाया दिया है
इसीलिए तो हम इंसान नहीं, ईमारत बनाते है
पर हमारा भी सपना है एक दिन
अपने हाथों से बनाई करोड़ों की ईमारत में रहने का कोना मिल जाये
मिल जाये वह घर जिसे हम वर्षो से आपके लिए सजाते आये है
पर यह मुमकिन नहीं ........ आंसू भरे आँखों से आज
एक परिवार मेरे बनाये घर में देखा
और मेरा परिवार फुटपाथ पर रहते देखा
आंसू तो रुक ना सके पर यह ख़ुशी जरुर मिली की
मेरे बनाये घर में है एक हसता - खेलता परिवार
एक घर , एक छत .... एक घर , एक छत
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